रांची, झारखण्ड । नवम्बर । 22, 2015 :: राजतन्त्र और सत्ता का सुख उस बरगद के समान है जो अपने नीचे किसी भी पौधे को पनपने नहीं देता और विरोध करने वाले को ऐसी कालकोठरी में धकेल दिया जाता है जहाँ रौशनी सिर्फ कल्पना मात्र हो जाती है। राजनीति और मुनाफाखोरी में यदि खुद का पुत्र भी उनके खिलाफ खड़े हो जाये तो ये उनपर भी कार्रवाई करते है जो कठोर से भी कठोरतम होता है ये दर्शाया गया नाटक “अवांछित” में जिसका मंचन रांची की नाट्य संस्था युवा नाट्य संगीत अकादमी के युवा कलाकारों ने कांति कृष्ण कलाभवन, गोरखनाथ लेन में ऋषिकेश लाल के निर्देशन में प्रत्येक रविवार नाटक कार्यक्रम में अंतर्गत इकतीस रविवार की प्रस्तुति के रूप में दी।
अवांछित में एक नेता अपने क्षेत्र को सुखाड़ घोषित कराना चाहता है ताकि उसे लाभ हो और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ सके जिसका विरोध उसका बेटा करता है जिसे नेता पागल करार दे पागलखाने में भिजवा देता है ।
नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार थे समीर सौरभ, सनी शर्मा, राकेश साहू, सृष्टि दयाल जबकि प्रकाश व्यवस्था कामिनी ताम्रकार एवं संगीत अशोक गोप की रही।राजतन्त्र और सत्ता का सुख उस बरगद के समान है जो अपने नीचे किसी भी पौधे को पनपने नहीं देता और विरोध करने वाले को ऐसी कालकोठरी में धकेल दिया जाता है जहाँ रौशनी सिर्फ कल्पना मात्र हो जाती है। राजनीति और मुनाफाखोरी में यदि खुद का पुत्र भी उनके खिलाफ खड़े हो जाये तो ये उनपर भी कार्रवाई करते है जो कठोर से भी कठोरतम होता है ये दर्शाया गया नाटक “अवांछित” में जिसका मंचन रांची की नाट्य संस्था युवा नाट्य संगीत अकादमी के युवा कलाकारों ने कांति कृष्ण कलाभवन, गोरखनाथ लेन में ऋषिकेश लाल के निर्देशन में प्रत्येक रविवार नाटक कार्यक्रम में अंतर्गत इकतीस रविवार की प्रस्तुति के रूप में दी।
अवांछित में एक नेता अपने क्षेत्र को सुखाड़ घोषित कराना चाहता है ताकि उसे लाभ हो और उसकी प्रतिष्ठा बढ़ सके जिसका विरोध उसका बेटा करता है जिसे नेता पागल करार दे पागलखाने में भिजवा देता है ।
नाटक में अभिनय करने वाले कलाकार थे समीर सौरभ, सनी शर्मा, राकेश साहू, सृष्टि दयाल जबकि प्रकाश व्यवस्था कामिनी ताम्रकार एवं संगीत अशोक गोप की रही।