रांची, झारखण्ड 24 सितम्बर 2014 :: ज्योतिष शास्त्री डॉ सुनील बर्मन ( स्वामी दिव्यानंद ) के अनुसार नवरात्र की पूजा से पहले खान पान और दैनिक दिनचर्या पर नियंत्रण कर ले, ताकि पूजा प्रारंभ होने से पहले का आन्तरिक असर ना हो.
डॉ बर्मन के अनुसार
* सुबह में सम्पूर्ण षोडशो विधि से उपचार पूजां हो, उसके बाद आरती, पुष्पांजलि हो फिर संध्या पूजन और आरती.
* सारे दिन माता दुर्गा का स्मरण करे तथा मानस पटल पर माता की प्रतिमा विराजमान हो.
* अल्पहार और अल्प भाषी, भूमि शयन के साथ साथ माता के बीज मंत्र का जाप आदि निरंतर करते रहे.
* संभव हो तो नवीन वस्त्र में धोती और एक अंग वस्त्र, जिसे लाल या पीले रंग का होना लाभकारी होगा.
नोट :: देश, काल, जल वायु की परिस्थिति को ध्यान में रखते हुए उपवास की विधि का चयन करे, जिसे आप सुचारू रूप से पूर्ण कर सकते है. जैसे जल उपवास, फल उपवास, निराहार, एक समय का भोजन या सम्पूर्ण जलानिराहार.
अगर उपवास सुट ना करे तो ना करे.