रांची,झारखण्ड । मई ।06. 2016 :: मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार मंे राँची विश्वविद्यालय, राँची के पी.जी. दर्शनशास्त्र विभाग तथा वेदान्त शोध केन्द्र राँची के संयुक्त तत्त्वावधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ हुआ। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का प्रतिपाद्य विषय था ‘‘ वेदान्त और आधुनिक जगत ’’। मंच पर आसीन व्यक्तिविशेषों में राँची विश्वविद्यालय के प्रभारी कुलपति डाॅ॰ रजि़उद्दीन, सिंघानिया विश्वविद्यालय राजस्थान के पूर्व कुलपति डाॅ॰ सोहनराज तातेर, कामेश्वर सिंह संस्कृति विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डाॅ॰ निलीमा सिन्हा, सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ॰ रजनीश कुमार शुक्ला, राँची विश्वविद्यालय दर्शनशास्त्र विभाग की अध्यक्ष डाॅ॰ मीरा देवी वर्मा, राँची के प्रसिद्ध स्नायुरोग सर्जन डाॅ॰ एच॰पी॰ सिन्हा, वेदान्त शोध केन्द्र के सचिव श्री सुकुमार मुखर्जी एवं निदेशक डाॅ॰ राजकुमारी सिन्हा और राँची विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ॰ अमर कुमार चैधरी थे।
मधुसूदन गाँगूली के स्वर में मंगलाचरण और सामूहिक दीप प्रज्जवलन से वेदान्त के सूत्रों ने वातावरण को मंत्रमय बना दिया। पी.जी. दर्शनशास्त्र विभागाध्यक्ष डाॅ॰ मीरादेवी वर्मा के स्वागताभाषण के बाद वेदान्त और विज्ञान पर पकड़ रखने वाले राँची के प्रसिद्ध स्नायुरोग विशेषज्ञ डाॅ॰ एच॰पी॰नारायण ने वेदान्त अपने विचार रखे। उन्होंने कहा वेदान्त न तो किसी का वहिष्कार करता है और न तो किसी की बातों को बिना सोचे समझे स्वीकार ही करता है। वेदान्त ज्ञान के सर्वोत्तम रूप हैं।
इसके बाद वेदान्त शोध केन्द्र राँची की वार्षिक पत्रिका वेदान्तिका का सामूहिक लोकापर्ण किया गया। इस पत्रिका में अधिकांश शोधालेख पी.जी.दर्शनशास्त्र विभाग राँची विश्वविद्यालय के शोधार्थियों का है।
प्रभारी कुलपति डाॅ॰ रजि़उद्दीन ने वेदान्त को विश्व का सबसे पुराना ग्रंथ कहते हुए कहा कि यह मानव जाति को आध्यात्मिक जीवन जीने में मार्गदर्शन का कार्य करता है। वेदान्त के सभी सूत्र पहले की तरह आज भी प्रामाणिक माने जाते हैं।
इसके बाद वेदान्त शोध केन्द्र के सचिव सुकुमार मुखर्जी ने अपनी संस्थान का वार्षिक लेखा जोखा रखा।
अपने संभाषण में सिंघानिया विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डाॅ॰ सोहनराज तातेर ने कहा कि वेदान्त हमें आत्म परिचय कराता है। स्व की संवेदना के लिये वेदान्त सर्वोत्तम ग्रंथ हैं। विश्व के सभी दर्शन, सभी धर्म का आधार मानवता है और मानव धर्म ही सबसे बड़ा धर्म भी है। हमारे वेदान्त का भी चरम यही हैं। वेदान्त पूरी मानवता के आधार हैं।
सम्पूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय से आये डाॅ॰ रजनीश कुमार शुक्ला ने वेदान्त पर अपनी बात रखते हुए कहा कि हमारी समस्याएँ कितनी बड़ी क्यों न हों उसका निदान वेदान्त है। समस्यायें ताला हैं वेदान्त चाभी हैं।
दूसरे सत्र में बोलते हुए कामेश्वर सिंह संस्कृत विश्वविद्यालय की प्रतिकुलपति डाॅ॰ निलीमा सिन्हा ने अत्यंत ही सरल भाषा में वेदान्त को समझाया। उन्होंने कहा कि वेदान्त में समस्त ज्ञान का सार छिपा है।
डाॅ॰ राजकुमारी सिन्हा के अध्यक्षीय भाषण के बाद आज का सत्र समाप्त हुआ। कल दिनांक 7 मई को पुनः 11 बजे से सत्र आरंभ होगा। कल के सत्र में हिस्सा लेने जैन विश्व भारती विश्वविद्यालय, लाडनू राजस्थान से डाॅ॰ रामजी सिंह तथा पटना विश्वविद्यालय के डाॅ॰ रमेश चन्द्र सिन्हा आ रहे हैं।
Information was given by Dr. Sushil Ankan, Ranchi.